सोमवार, 12 सितंबर 2011

१६-८-२०११

कल तिरंगा ऊंचा था
आज शर्म से झुक गया है
उठो साथियो हाथ बढाओ
न होने दो यह अत्याचार
एक अन्ना कैद तो क्या
पैदा होंगे और हज़ार

तुम न रुकोगे, न रोकोगे
तो कैसे मिटेगा भला
बढ़ता पनपता यह भ्रष्टाचार !
अपनी अपनी में जमे रहे तो
पैंसठ वर्षी माँ तुम्हारी
देगी तुमको ही दुत्कार

आज वक़्त वह आया है
जो पहले भी आया था
बापू कि आवाज़ ने जब हमारे
बापुओं को जगाया था

न बापू रहे न हमारे बापू
आवाज़ हमारी उठनी है अब
जो बच्चों को जगाएगी
इस देश के कोने ओने में
नए स्वातंत्र्य का दीप जलायेगी...

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